रिश्तों में सफेद दाग: बाधा नहीं, बस समाज की गलत सोच

क्या रिश्तों में सफेद दाग (Vitiligo) एक बाधा है?

शायद नहीं… लेकिन समाज को लगता है कि है।

अगर परिवार में किसी एक सदस्य को सफेद दाग हो जाए,
तो समाज अक्सर उस पूरे परिवार को अलग-थलग कर देता है।
लोग बातचीत कम कर देते हैं, मेल-जोल सीमित हो जाता है — और सबसे बड़ी बात, उस परिवार में रिश्ता करने से कतराते हैं।

मैंने यह खुद महसूस किया है।
मेरे अपने परिवार ने यह दर्द झेला है।

जब लोग सिर्फ इस डर से रिश्ता नहीं करते कि कहीं उनके घर में भी सफेद दाग न आ जाए —
तो तकलीफ केवल उस व्यक्ति को नहीं होती, पूरा परिवार अंदर से टूट जाता है।

जिन्हें विटिलिगो है, उनके लिए शादी की राह और भी कठिन हो जाती है।
हर जगह वही सवाल:

  • क्या यह बीमारी फैलती है?

  • बच्चों में तो नहीं आ जाएगी?

और दुःख की बात यह है कि इन सवालों का सही उत्तर समाज सुनना ही नहीं चाहता।

रिश्ते दिल से बनते हैं, त्वचा के रंग या दाग से नहीं।

पर समाज ने मान लिया है कि यह कोई साधारण स्थिति नहीं, बल्कि एक कलंक है।

लेकिन अब समय बदलने का है।

समाज को यह समझना होगा कि:

✅ विटिलिगो कोई छूत की बीमारी नहीं है।
✅ यह किसी संपर्क, खानपान या निकटता से नहीं फैलता।
✅ यह केवल एक त्वचा संबंधी स्थिति है — इससे व्यक्ति की क्षमता, प्रतिभा, या इंसानियत पर कोई असर नहीं पड़ता।

रिश्ते समझ से बनते हैं — और समझ समाज से आती है।

आइए इस सोच को बदलें।
सफेद दाग को रिश्तों में बाधा नहीं, एक विशेषता समझें — जो व्यक्ति को कमजोर नहीं, बल्कि और मजबूत बनाती है।

👉 समझ बदलिए — समाज बदलेगा।
👉 विटिलिगो को नहीं — मानसिकता को दूर कीजिए।


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