“Vitiligo”: नाम की उत्पत्ति, और इससे जुड़ी सच्चाई जो सबको जाननी चाहिए
Vitiligo शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई?
“Vitiligo” शब्द की जड़ें प्राचीन रोमन चिकित्सा प्रणाली में पाई जाती हैं।
इसका पहली बार उल्लेख Aulus Cornelius Celsus नामक प्रसिद्ध रोमन चिकित्सक ने लगभग 25 ईस्वी के आसपास अपनी पुस्तक De Medicina में किया था।
शब्द की व्युत्पत्ति (Etymology):
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“Vitiligo” शब्द को लैटिन शब्द “vitium” से जोड़ा जाता है, जिसका अर्थ होता है — दोष या दाग।
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कुछ विद्वानों का मानना है कि यह “vitulus” (बछड़ा) शब्द से भी आया हो सकता है, क्योंकि विटिलिगो के धब्बे बछड़े की चितकबरी त्वचा जैसे लगते हैं।
हालाँकि इस शब्द की उत्पत्ति लगभग 2000 साल पुरानी है, लेकिन चिकित्सा विज्ञान में इसकी स्वीकार्यता और शोध-आधारित समझ 19वीं–20वीं शताब्दी में बढ़ी।
❓ सफेद दाग: भ्रम या सच्चाई?
कभी किसी व्यक्ति की त्वचा पर सफेद धब्बे देखकर आपको हैरानी हुई?
क्या आपने मन में सवाल किया — ये कैसे हुआ?
या… डर के मारे दूरी बना ली?
तो आइए, अब इन भ्रमों को यहीं समाप्त करें।
सफेद दाग या Vitiligo क्या है?
यह एक त्वचा संबंधी ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर की इम्यून प्रणाली गलती से Melanocytes (रंग बनाने वाली कोशिकाओं) को नष्ट कर देती है। इससे त्वचा पर सफेद धब्बे उभर आते हैं।
जो बातें जानना ज़रूरी हैं:
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❌ Vitiligo छूने, साथ बैठने, खाने या बात करने से नहीं फैलता।
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❌ यह कोई श्राप, पाप या पिछले जन्म की सजा नहीं है।
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✅ यह एक प्राकृतिक, गैर-संक्रामक स्किन कंडिशन है।
असली चुनौती: रोग नहीं, सोच
इस स्थिति से ज़्यादा दुखद है समाज का नजरिया —
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बचपन में ताने
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स्कूल में उपहास
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और बड़े होकर रिश्तों में भेदभाव
क्या सिर्फ रंग की कमी के कारण कोई इंसान सम्मान, अवसर और प्रेम से वंचित हो जाना चाहिए?
समाधान: समझ, संवेदना और सहयोग
Vitiligo कोई कमजोरी नहीं है।
जो लोग इससे जूझ रहे हैं, वे साहसी, प्रतिभावान और आत्मसम्मानी हैं।
क्या करना चाहिए?
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उन्हें घूरें नहीं,
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मुस्कराएँ जैसे आप किसी और को देखकर मुस्कराते हैं।
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क्योंकि इंसान का असली रंग उसकी सोच होती है।
“जानिए, समझिए और जोड़िए —
क्योंकि सफेद दाग है सिर्फ एक रंग की बात, इज्ज़त की नहीं।”
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