🙏 नमस्कार दोस्तो,
मैं रविन्द्र जायसवाल,
और आप देख रहे हैं Vitiligo Support India चैनल का ब्लॉग।
आज हम बात करेंगे उस अदृश्य दर्द की,
जो अक्सर आँखों से नहीं, दिल से महसूस होता है।
🎯 विषय: “विटिलिगो और ट्रॉमा – दर्द जो दिखता नहीं”
विटिलिगो एक शारीरिक स्थिति है।
लेकिन इसका सबसे गहरा ज़ख्म स्किन पर नहीं, मन पर पड़ता है।
🧠 मानसिक ट्रॉमा क्यों?
वो इंसान जिसने कुछ गलत नहीं किया,
सिर्फ उसकी त्वचा बदल गई थी।
फिर भी:
🔸 लोग घूरते हैं
🔸 फब्तियाँ कसते हैं
🔸 “तू ठीक हो जाएगा?” जैसे सवाल पूछते हैं
🔸 और सबसे दर्दनाक – “तेरे साथ कौन शादी करेगा?”
💔 और यही बनता है मानसिक ट्रॉमा
“क्या मैं अच्छा नहीं दिखता?”
“क्या मेरी गलती है?”
“क्या मैं किसी लायक नहीं हूँ?”
ये सवाल सिर्फ आत्म-संदेह नहीं हैं,
बल्कि ट्रॉमा के बीज हैं,
जो हर दिन भीतर ही भीतर इंसान को तोड़ते जाते हैं।
🎙️ यह है ट्रॉमा।
जो विटिलिगो के साथ जुड़ा है —
चुपचाप, अदृश्य लेकिन अत्यंत प्रभावशाली।
🏠 समाज की भूमिका
👉 जब परिवार छुपाता है
👉 दोस्त दूर हो जाते हैं
👉 रिश्तेदार ताना मारते हैं
👉 और समाज नज़रअंदाज़ करता है…
तब एक साधारण सा पैच,
एक जीवनभर की चुप्पी बन जाता है।
🚫 लेकिन रुकिए — ये ट्रॉमा स्थायी नहीं है!
इसका इलाज है:
✅ समझ
✅ स्वीकृति
✅ और सबसे ज़रूरी — खुद से प्रेम करना
💬 एक सच्चा संदेश:
“मुझे मेरे दागों से नहीं,
समाज की सोच से डर लगता है।”
🤝 चलिए समाज को आवाज़ दें
यदि आप विटिलिगो से जूझ रहे हैं —
तो जान लीजिए, आप अकेले नहीं हैं।
अगर आपके पास आवाज़ है, तो किसी की चुप्पी तोड़ सकते हैं।
इस ब्लॉग को, इस सोच को, आगे बढ़ाइए।
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जो दाग नहीं, आत्मबल देखता है।