✨ दो रंगों की पहचान: विटिलिगो की खूबसूरत कहानी
🙏 नमस्कार दोस्तों!
हम दो रंगों के लोग हैं — और यही हमारी खूबसूरत पहचान है।
एक आम इंसान की त्वचा एक जैसे रंग की होती है, और समाज उसे उसी रूप में सहजता से स्वीकार कर लेता है।
पर विटिलिगो से जीने वाला व्यक्ति दो रंगों के साथ जिंदगी जीता है — एक जो वह खुद देखता है, और दूसरा जो समाज उसे बार-बार दिखाता है।
🌈 जब रंग बन जाएं कहानी
हमारी त्वचा पर दो रंग होते हैं —
एक वो जो आईने में दिखता है,
और एक वो जो समाज की नज़रों में उभर आता है।
एक रंग वाला शायद कभी नहीं सोचता,
कि लोग उसे कैसे देखेंगे,
कैसे सवाल करेंगे…
लेकिन दो रंगों वाला इंसान हर नज़र को पढ़ना सीख जाता है।
हर चुप्पी को सुनना सीख जाता है।
🌍 रंगभेद तो हर जगह है
कई देशों में काले और गोरे के बीच भेदभाव की बातें होती हैं…
लेकिन विटिलिगो से जीने वाला व्यक्ति तो
एक ही शरीर में दोनों रंगों के साथ जीता है।
और फिर भी —
दुनिया इसे समझ नहीं पाती।
यह कमजोरी नहीं — यह हमारी कहानी है।
🤔 क्या रंग बदलने से इंसान बदल जाता है?
या बदलती हैं बस देखने वालों की नज़रें?
हमारी त्वचा दो रंगों की हो सकती है,
पर हमारा आत्मसम्मान एकदम साफ़, उजला और मजबूत है।
हमें ये दो रंग शायद इसलिए मिले हैं,
ताकि हम दुनिया को रंगों से परे देखने का नजरिया दे सकें।
💬 आपसे एक सवाल
अगर आप भी इन दो रंगों के साथ जी रहे हैं,
तो शर्माइए मत —
ये आपकी पहचान है, और यह बेहद खूबसूरत है।
👇 कमेंट करके बताइए — आपने अपने रंगों को कब अपनाया?
🌼 कविता: दो रंगों की कहानी 🌼
मैं दो रंगों का इंसान हूँ,
ना कोई रोग, ना अभिशाप हूँ।
जिसे तुम “सफेद दाग” कहते हो,
वो मेरे जिस्म का नक्शा हूँ।एक रंग से जन्म लिया था,
दूजा खुद ही साथ चला,
दोनों ने मिलकर मुझमें
अलग ही रोशनी भर डाला।लोग एक रंग में ढलते हैं,
भीड़ में खुद को खो देते हैं,
मैं दो रंग लेकर जीता हूँ,
हर दिन खुद को जो देता हूँ।कभी घूरती नज़रें मिलीं,
कभी चुप्पी ने बात की,
पर मैंने अपने रंगों से
ज़िंदगी को सौगात दी।काले–गोरे की लड़ाई से,
मैं बहुत आगे निकल आया,
दो रंगों के संग जीकर भी
मैं खुद से प्यार कर पाया।अब न छुपता हूँ, न डरता हूँ,
न समाज से सहम जाता हूँ,
मैं दो रंगों की वो कहानी हूँ,
जो हर दिल को बताता हूँ—रंगों से मत परखो मुझको,
रंग तो सिर्फ़ शरीर में हैं,
मेरी असली चमक तो वो है,
जो मेरी आत्मा की तस्वीर में है।