🙏 नमस्कार दोस्तों,
मैं पारूल गुप्ता,
Vitiligo Support India की एक वॉरियर,
आज आपके सामने एक सच्ची कहानी लेकर आई हूँ।
हम नाम नहीं ले सकते,
लेकिन इस कहानी का दर्द हर उस इंसान का है,
जो सफेद दाग को बीमारी नहीं,
बल्कि समाज का कलंक मान बैठा है।
🧓 एक बुज़ुर्ग… और एक गमछा
एक बुज़ुर्ग हैं,
जो हमेशा अपने गले में गमछा डाले रहते हैं।
ना गर्मी उन्हें रोकती है, ना किसी का समझाना।
क्यों?
क्योंकि उस गमछे के पीछे छिपा है एक डर —
-
डर, समाज की निगाहों का…
-
डर, लोगों के सवालों का…
-
डर, अपनों को तानों से बचाने का…
🗣️ जब परिवार समझाता है…
“आपको छुपाने की ज़रूरत नहीं है पापा,
आप जैसे हैं वैसे ही सुंदर हैं।”
“अब ज़माना बदल रहा है।”
लेकिन उनका जवाब सीधा होता है —
“अब कितने साल जीना है बेटा…
पर तुम्हारी ज़िंदगी तो बाकी है।
मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से तुम्हें शादी में परेशानी आए।
लोग कहेंगे — इनके घर में बीमारी है।
और रिश्ते टूट जाएंगे।
मैं नहीं चाहता कि मेरी सच्चाई तुम्हारे लिए बोझ बन जाए।”
💔 ये लोग खुद से नहीं, दुनिया से हार चुके हैं।
जो अपनी पहचान नहीं,
अपनों की इज़्ज़त बचाने के लिए छुपते हैं।
लेकिन अब वक्त है इस डर को तोड़ने का।
क्योंकि विटिलिगो बीमारी नहीं,
और शर्म तो कभी नहीं हो सकती।
✨ प्रेरणात्मक कविता: “गमछे के पीछे”
🤝 याद रखिए —
आप अकेले नहीं हैं।
हम सब साथ हैं।
Vitiligo Support India – हमारी स्किन, हमारा गौरव! ✨
📢 समाज को बदलना है?
अगर आप भी इस बदलाव का हिस्सा बनना चाहते हैं —
✔️ इस पोस्ट को शेयर करें
✔️ कमेंट करें: क्या आपने कभी ऐसा कुछ महसूस किया है?
✔️ और Vitiligo Support India चैनल को सब्सक्राइब करें।
🌐 Vitiligosupportindia.org पर लॉगिन करें
और जुड़ें एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म से जो आपकी त्वचा नहीं,
आपके साहस को पहचानता है।
Mujhe bhi iss vitiligo se pareshani jhela hu mere ghar me kisi ka marriage hota to ham apane ko room me band kar leta hu .hamare vajah se mere ghar wale ko tana sahna parta hai uss me meri kya galti hai jo mere family wale ko pareshani hoti hai