लोग घूरते हैं… और सलाह देने लगते हैं

लोग घूरते हैं… और सलाह देने लगते हैं

By: Ravindra Jaiswal

“क्या आपने कभी महसूस किया है कि जब आप समाज में जाते हैं,
तो लोग आपको घूरने लगते हैं?”

उनकी निगाहों में एक सवाल नहीं,
बल्कि सैकड़ों अनकहे शक होते हैं।
और फिर…
सलाहों की बौछार शुरू हो जाती है।


कोई पूछता है –
‘तुमने उस नदी में स्नान किया?’
कोई कहता है –
‘ये आयुर्वेदिक दवा ट्राय की? बहुत लोगों को फायदा हुआ है।’
तो कोई सुझाव देता है –
‘मांस खाना छोड़ दो, खान-पान बदलो… शायद ठीक हो जाओ।’

पहले मैं चुपचाप सुन लेता था।
सोचता था, शायद लोग मदद करना चाहते हैं।

लेकिन अब मैं साफ़ कह देता हूँ –
‘मुझे इस बारे में कोई चर्चा नहीं करनी।’


विटिलिगो कोई पाप नहीं है।
यह छुआछूत नहीं है।
और न ही यह किसी कर्मों की सज़ा है।
यह सिर्फ एक स्किन कंडीशन है – जिसे समझने की जरूरत है,
न कि तिरस्कार की।


अगर आप भी ऐसी स्थितियों का सामना कर रहे हैं,
तो एक बात याद रखें –
आपको किसी को सफाई देने की ज़रूरत नहीं है।
आप जैसे हैं, वैसे ही परफेक्ट हैं।

समाज की सोच बदलना शायद हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है,
लेकिन खुद को मजबूत बनाना हमारी ज़रूरत है।


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