अदृश्य परछाई: मेरी सफेद दाग की कहानी
बचपन की यादें हमेशा दिल में गहरी छाप छोड़ जाती हैं। दोस्त, आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी के कुछ ऐसे लम्हों के बारे में बताना चाहता हूँ, जो मेरे लिए कभी न भूलने वाले हैं। माता-पिता बताते थे कि जब मैं छह साल का था, तब मुझे बहुत तेज़ बुखार आया था। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह बुखार मेरी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। इस बुखार के बाद मेरे शरीर पर सफेद दाग उभरने लगे, और तभी से मेरा सफर शुरू हुआ – एक ऐसा सफर, जिसमें समाज की बेड़ियों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया।
जब बहन की शादी में मुझे छिपाया गया
हमारी ज़िंदगी में शादी-ब्याह के मौके बहुत खास होते हैं। लेकिन मेरे लिए, यह सिर्फ उत्सव नहीं बल्कि दर्द और अकेलेपन की कहानी थी। जब मेरी बड़ी बहन की शादी होनी थी, तो परिवार के लोग मुझे छिपाने लगे।
- अगर कोई रिश्तेदार या बारात से लोग घर देखने आते, तो मुझे या तो दूसरे कमरे में भेज दिया जाता या फिर बाहर खेलने भेज दिया जाता, ताकि कोई मुझे देख न सके।
- जब तस्वीरें खिंचवाई जातीं, तो मैं अक्सर कोने में खड़ा होता, ताकि मेरी उपस्थिति को नज़रअंदाज़ किया जा सके।
मैं समझ नहीं पाता था कि मेरी गलती क्या थी? क्या मैं इस खुशी का हिस्सा नहीं बन सकता था? क्या मैं अपने ही घर में पराया था?
जब किरन की शादी तय होते-होते रुक जाती
मेरी छोटी बहन किरन की शादी की जब भी बात चलती, वही पुरानी कहानी दोहराई जाती। जब लड़के वाले हमारे घर आते, तो पहले से ही मुझे किसी बहाने से घर से बाहर भेज दिया जाता। कभी कहा जाता,
“तुम अपने दोस्त के घर खेलने चले जाओ,”
तो कभी,
“बाज़ार से कुछ सामान लेकर आओ।”
जब किसी को मेरे सफेद दाग के बारे में पता चलता, तो लड़के वाले अचानक शादी से इनकार कर देते।
- “हम अपने घर में ऐसा रिश्ता नहीं ला सकते,” कहते हुए वे लौट जाते।
- कुछ लोग तो यह भी पूछते, “ये बीमारी छूने से तो नहीं फैलती?”
- और कुछ तो किरन के भविष्य को लेकर अंधविश्वास से भरी बातें करने लगते।
कई बार मैं खुद से सवाल करता, क्या मैं अपनी बहन की खुशियों का दुश्मन हूँ?
लेकिन धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि गलती मेरी नहीं थी, गलती समाज की सोच की थी।
अब मैं छिपूंगा नहीं, अपनी पहचान बनाऊंगा
अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि यह दर्द मुझे कमजोर नहीं, बल्कि मजबूत बना गया। अब मैं अपनी पहचान पर गर्व करता हूँ और चाहता हूँ कि कोई भी बच्चा, कोई भी इंसान सिर्फ इस वजह से खुद को अकेला महसूस न करे।
मैं अब नहीं छिपूंगा। मैं अपनी कहानी सबको बताऊंगा, ताकि कोई और बच्चा अपने ही घर में अजनबी न बने।