सार्वजनिक रूप से बाहर जाने का डर और तस्वीर लेने में झिझक

सार्वजनिक रूप से बाहर जाने का डर और तस्वीर लेने में झिझक

 

By: रवीन्द्र जायसवाल
श्रेणी: आत्म-स्वीकृति | विटिलिगो जागरूकता | सामाजिक सोच में बदलाव


(कैमरा: क्लोज़अप शॉट – आत्मविश्वास से भरा हुआ)

नमस्कार दोस्तों!
क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि लोग आपको घूर रहे हैं?
क्या किसी सार्वजनिक जगह पर जाने से पहले आपके मन में डर आता है?
क्या आप भी तस्वीर खिंचवाने से कतराते हैं – सिर्फ इसलिए कि आपकी त्वचा बाकी लोगों से अलग है?

👉 अगर हां, तो यह वीडियो आपके लिए है – और सिर्फ आपके लिए नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो अपनी पहचान को लेकर झिझकते हैं।


मेरा अनुभव

“मैं कभी फोटो खिंचवाना नहीं चाहता था।
स्कूल से लेकर कॉलेज तक, ग्रुप फोटो में जानबूझकर पीछे छिप जाता था।
बचपन में तो मैं ब्राउन कलर से अपने सफेद दागों को छुपाने की कोशिश करता था।
लेकिन क्या सच में छुपाने से चीजें ठीक हो जाती हैं?”

हम जितना खुद को छुपाते हैं, उतना ही अंदर से टूटते हैं।


समाज की सोच और मानसिकता

“एक बार मेरे जानने वाले ने बताया कि उनकी माँ विटिलिगो से पीड़ित हैं, और वे सिर्फ रात में ही बाहर जाती हैं।
कारण? – “लोग देखेंगे तो बेटी की शादी में परेशानी हो जाएगी।”
लेकिन उनकी बेटी का जवाब सुनकर मेरा दिल भर आया –

‘जो मेरी माँ को नहीं अपनाएगा, मैं उससे शादी नहीं करूंगी।’

यह है नई सोच – जो समाज को बदल सकती है।


 बदलाव कैसे लाएँ?

“हमें खुद को छुपाना बंद करना होगा।
व्हाट्सएप डीपी लगाने से डरना क्यों?
फोटो खिंचवाने से हिचकिचाना क्यों?”

हमारी पहचान हमारी ताकत है, शर्म नहीं।
जो हमें न समझे, शायद उन्हें बदलने की ज़रूरत है – हमें नहीं।

“अगर हम बदलाव चाहते हैं, तो शुरुआत हमें खुद से करनी होगी।
अपने आपको अपनाइए। अपनी कहानी बताइए। तस्वीर खिंचवाइए। खुद पर गर्व कीजिए।

क्योंकि –

खूबसूरती सिर्फ रंग में नहीं होती, आत्मा में होती है।


Break the Stigma, Embrace the Beauty!
– रवीन्द्र जायसवाल | VitiligoSupportIndia.org


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