विटिलिगो से जूझते एक व्यक्ति की कहानी: आत्मविश्वास और समाज की मानसिकता को बदलने का समय

विटिलिगो से जूझते एक व्यक्ति की कहानी: आत्मविश्वास और समाज की मानसिकता को बदलने का समय

आज मुझे दिल से बहुत खुशी हुई…
क्योंकि मेरा प्रयास, जो मैं विटिलिगो को लेकर समाज में जागरूकता फैलाने के लिए कर रहा हूं — अब रंग लाने लगा है।
आज एक शख्स का फोन आया। उसने बड़ी भावुकता से बताया कि उसकी पत्नी को शादी से पहले ही सफेद दाग था। आज उनके बच्चे भी हैं, परिवार है, सब कुछ है… लेकिन फिर भी उसकी पत्नी बहुत डिप्रैस रहती है। समाज के डर से, लोगों की बातों से, वह अंदर से टूट चुकी है।
उस शख्स ने मुझसे कहा – “मैं उसे कभी छोड़ नहीं सकता… पर वो बार-बार कहती है कि कोई इलाज बता दो।” वह बेहद चिंतित था, क्योंकि उसकी पत्नी की मानसिक स्थिति दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही थी।

आत्मविश्वास और आत्म-स्वीकृति: असली इलाज
मैंने उसे समझाया, उसे काउंसलिंग दी। कहा – उन्हें समझाइए, उनका साथ दीजिए। उन्हें पढ़ने, नौकरी करने, या अगर वो बिज़नेस करना चाहें तो उसमें आगे बढ़ने दीजिए। यही असली इलाज है – आत्मविश्वास और आत्म-स्वीकृति
मैंने यह भी बताया कि सफेद दाग कोई बीमारी नहीं है, ना ही ये छूने से फैलता है। ये कोई संक्रमण नहीं है। फिर भी समाज इसे बीमारी की तरह देखता है – और यही सोच हमें बदलनी है।

समाज की सोच को बदलने का समय
मैंने उसे ये भी सलाह दी कि उन्हें कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लेने दें। खुद को खुश रखें, और जितना हो सके खुद को बिजी रखें – चाहे वो कोई हॉबी हो, काम हो, या कुछ नया सीखना हो। जब हम खुद को व्यस्त रखते हैं और खुश रहने की कोशिश करते हैं, तो उसका सीधा असर हमारे मन और शरीर पर पड़ता है।
और सबसे ज़रूरी बात – मैंने उसे अपना पर्सनल एक्सपीरियंस भी शेयर किया। बताया कि मैंने क्या-क्या झेला है, कैसे लोगों की बातें सुनी, कैसे अकेलापन महसूस किया – लेकिन फिर खुद को संभाला, खुद से प्यार करना सीखा, और आज मैं उसी अनुभव को दूसरों की मदद के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं।

क्या सुंदरता ही एक इंसान की अच्छाई का पैमाना है?
मैंने उसे यह भी कहा – आज थायरॉइड, ब्लड शुगर जैसी कितनी बीमारियाँ हैं, पर क्या हम उन लोगों को ऐसे अलग कर देते हैं? और ये भी पूछा – क्या सिर्फ खूबसूरती से किसी इंसान की अच्छाई तय होती है?
अभी हाल ही में जो “नीले ड्रम” वाली घटना हुई – वो भी समाज की इसी मानसिकता का नतीजा है। और जब तक हम एक-दूसरे को नहीं समझेंगे, तब तक बदलाव नहीं आएगा।

लेकिन आज मुझे तसल्ली है कि ऐसे लोग हैं जो समझ रहे हैं, पूछ रहे हैं, साथ देना चाहते हैं। और यही छोटी-छोटी कोशिशें मिलकर बड़ा परिवर्तन लाएंगी।

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